गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन गुरुजनों तथा कुलगुरु की पूजा की जाती है। भारत में गुरु का समाज में बहुत महत्व है क्योंकि गुरु इश्वर प्राप्ति का मार्ग दिखाता है। गुरु पूजा के लिये मन्त्र इस प्रकार है। गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर: । गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम: ॥ बैसाख शुक्ल पक्ष त्रितीया को अक्षय त्रितीया मनायी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किये गये पुन्यों का कभी क्षय नहीं होता है। इसलिये इस दिन लक्ष्मी तथा नारायण पूजा का विशेष महत्व है। जब भगवान श्री राम ने पृथ्वी का भार कम करने के लिये अवतार लिया तो भगवान शंकर ने भी उनका साथ देने के लिये श्री हनुमान के रूप में माता अंजनी के गर्भ से जन्म लिया। यह त्यौहार चैत्र मास की चौदस को मनाया जाता है। इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिये तथा हनुमान जी के चरणों में प्रणाम कर तिलक लगाना चाहिये। चैत्र मास की नवमी को रामनवमी भी कहते हैं। इस दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। भगवान राम विष्णु के दस अवतारों में से एक हैं। इस दिन राम कथा सुनने का विशेष महत्व है। नव संवतसर प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। इस दिन से हिन्दु नूतन वर्ष (विक्रम संवत)का प्रारम्भ होता है। इस दिन अपने आराध्य देव एवं देवी की पूजा करनी चाहिये. ईश्वर से वर्ष के सफल होने की प्रार्थना करनी चाहिये। होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली के दूसरे दिन दुल्हैड़ी का पर्व मनाया जाता है जिसमें रंग, अबीर तथा गुलाल का प्रयोग किया जाता है।होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत का एक प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जो आज विश्वभर में मनाया जाने लगा है। रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। पौरणिक मान्यताओं के अनुसार इस पर्व का सम्बन्ध भक्त प्रह्लाद से है जो कि भगवान विष्णु के परम भक्त थे। प्रह्लाद की बुआ होलिका को आग में न जलने का वरदान था। प्रह्लाद को मारने की नीयत से होलिका उसे ले कर जलती हुई लकड़ियो पर बैठ गई। भगवान विष्णु की कॄपा से होलिका जल गई लेकिन प्रह्लाद बच गया। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था, जिसे हर साल महाशिवरात्रि के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव भक्त विशेष उपाय और पूजा करते हैं। मकर संक्राति का पर्व प्रत्येक वर्ष 14/15 जनवरी के दिन मनाया जाता है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं उस समय को मकर संक्रन्ति कह्ते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस दिन से सूर्य के बल में वृद्धि प्रारम्भ होती है। रात्रि की अपेक्षा दिन लम्बे होना शुरु हो जाते है। इस दिन गंगा, यमुना तथा संगम में स्नान का विशेष महत्व है।Guru Purnima
Akshay Triteeya
Hanuman Jayanti
Ram Navami
Nav Samvatsar
Holi – Rangotsav
Holika Dahan
Maha Shivratri
Makar Sankranti