भैया दूज का पर्व कार्तिक मास की द्वितीया को मनाया जाता है। इसे यमद्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार एक दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर पहुँचे। यमुना ने अपने भाई का बहुत आदर सत्कार किया। यमुना ने यमराज को अपने हाथ से बने हुए पकवान खिलाए। यमुना ने भाई के माथे पर तिलक भी किया। यमराज ने बहन को बहुत सुन्दर उपहार दिया। यमराज ने यमुना के स्नेह से प्रसन्न होकर वरदान दिया कि जो बहन आज के दिन भाई को तिलक लगायेगी वो तथा उसका भाई यमलोक नहीं जायेगें। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल वासियों को इंद्र की पूजा न कर के परमपिता परमेश्वर की पूजा करने को कहा। गोकुल वासियों ने परमेश्वर का स्वरूप पूंछा तो श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को परमेश्वर का प्रतीक बताया। अपनी पूजा बन्द होने से नाराज इंद्र ने गोकुल में भयंकर वर्षा की। लोगों को व्याकुल देख कर श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया। सारे गोकुल के लोग पर्वत के नीचे सुरक्षित रहे और गोकुल को इंद्र के प्रकोप से मुक्ति मिल गई। दीपवली का पर्व सम्पूर्ण भारत में कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। मान्यतओं के अनुसार इस दिन भगवान राम १४ वर्ष का वनवास पूरा कर के अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने उनके लौटने की ख़ुशी में घी के दीपकों की पंक्तियों से अपने घरों को सजाया था। आज भी प्रतीक स्वरूप घर घर दीपक जलाये जाते है। इस दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा की बहुत मान्यता है। माना जाता है कि इस दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने से घर धन-धान्य से भरा रह्ता है। बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक विजय दशमी का पर्व क्वार मास की दशमी को मनाया जाता है। इसे दशहरा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यतओं के अनुसार इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर पृथ्वी को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी। उत्तर भारत के अनेक स्थानों पर इस दिन रावण, कुम्भकर्ण तथा मेघनाद के पुतले फूंक कर अच्छाई की विजय मनाई जाती है। नवरात्रि दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित नौ दिन का समय है। क्वार मास के पहले नौ दिन को नवदुर्गा कह्ते है। इन दिनो में दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है। अष्टमी अथवा नवमी के दिन कन्याओं को भोजन कराने का विशेष महत्व है। पूर्वी भारत विशेषत: बंगाल में यह पर्व अत्यंत भव्य तरीके से मनाया जाता है। पित्र पक्ष १५ चन्द्र दिनो का समय होता है जो पूर्वजों को समर्पित है। इन दिनों में श्राद्ध,तर्पण तथा पिन्डदान का विशेष महत्व है। इन दिनों में कौवों को खाना खिलाना पुन्या माना जाता है। घर के सबसे बड़े पुरुष सदस्य को पूरी श्रद्धा तथा समर्पण भाव से शास्त्रोगत कार्य करने चाहिये। इन दिनों में कोइ भी शुभ कार्य जैसे कि “नये भवन में प्रवेश”, नया व्यवसाय प्रारम्भ” तथ “सन्तान जन्म का समारोह” इत्यादि वर्जित हैं। भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन श्री गणेश चतुर्थी मनायी जाती है। इसे विनायक चतुर्थी भी कह्ते हैं। इस दिन परिवार के सभी सदस्यों को गणेश जी की पूजा करनी चाहिये। ब्रह्मणों को यथोचित दान देना चाहिये। विधिपूर्वक पूजा करने से गणेश जी प्रसन्न होते है और सुख प्रदान करते हैं। इस दिन चन्द्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिये। एसी मान्यता है कि इस दिन चन्द्रमा के दर्शन करने से झूठा दोष लग जाता है क्योंकि चन्द्रमा को गणेश जी ने श्राप दिया था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व सम्पूर्ण भारतवर्ष विषेषत: उत्तर भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन मथुरा में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। भगवान विष्णु ने पृथ्वी से पापियों के विनाश के लिये तथा सद जनों के उद्धार के लिये श्री कॄष्ण के रूप में अवतार लिया था। इस दिन उपवास रखा जाता है और भगवान श्री कृष्ण की आराधना की जाती है। भाई बहन के स्नेह एवं कर्तव्य का प्रतीक है रक्षाबंधन का पर्व । इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांध कर उनकी लम्बी आयु की कामना करती हैं और भाई बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं। नागपंचमी श्रावण मास की पंचमी को मनायी जाती है। इस दिन नाग देवता के चान्दी, काष्ठ अथवा चित्र स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति शान्ति पूजा करा कर इस दोष के प्रभाव को सीमित करा सकते हैं।Bhai Dooj
Govardhan Puja
Deepawali
Vijaydashmi
Navratri
Pitra Paksh
Ganesh Chaturthi
Krishna Janmashtami
Raksha Bandhan
Nag Panchami