यह त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। पौरणिक मान्यताओं के अनुसार इस पर्व का सम्बन्ध भक्त प्रह्लाद से है जो कि भगवान विष्णु के परम भक्त थे। प्रह्लाद की बुआ होलिका को आग में न जलने का वरदान था। प्रह्लाद को मारने की नीयत से होलिका उसे ले कर जलती हुई लकड़ियो पर बैठ गई। भगवान विष्णु की कॄपा से होलिका जल गई लेकिन प्रह्लाद बच गया।