गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल वासियों को इंद्र की पूजा न कर के परमपिता परमेश्वर की पूजा करने को कहा। गोकुल वासियों ने परमेश्वर का स्वरूप पूंछा तो श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को परमेश्वर का प्रतीक बताया। अपनी पूजा बन्द होने से नाराज इंद्र ने गोकुल में भयंकर वर्षा की। लोगों को व्याकुल देख कर श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया। सारे गोकुल के लोग पर्वत के नीचे सुरक्षित रहे और गोकुल को इंद्र के प्रकोप से मुक्ति मिल गई।